हर साल 1.3 अरब टन खाना बर्बाद हो जाता है. इस बर्बाद खाने का अधिकतर हिस्सा कचरे के बड़े ढेरों में पहुंच जाता है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने लगता है.
न्यूयॉर्क में शेफ़ मैक्स ला मन्ना कहते हैं, "खाने का बर्बाद होना इंसानों के लिए आज सबसे बड़ी समस्या है."
उन्होंने 'मोर प्लांट्स, लेस वेस्ट' नाम से किताब लिखी है. उन्होंने बताया कि कैसे हम हालात को बेहतर करने में योगदान दे सकते हैं.
खाना हमेशा से मेरे जीवन का मुख्य भाग रहा है. मेरे पिता शेफ़ थे, ऐसे में मैं खाने की दुनिया में ही पला-बढ़ा.
मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे बताया कि कभी खाना बर्बाद मत करो. हमारे ग्रह पर लगभग 90 अरब लोग किसी न किसी तरह खाद्य संकट से जूझ रहे हैं और लगभग 82 करोड़ लोगों को खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता.
आज इंसानों के सामने सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है- खाने की बर्बादी. एक अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया में तैयार किए जाने वाले खाने का एक तिहाई हिस्सा बर्बाद चला जाता है.
खाने के बर्बाद होने का मतलब सिर्फ़ खाना बर्बाद होना ही नहीं है. यह पैसों, पानी, ऊर्जा, ज़मीन और परिवहन साधनों की भी बर्बादी है.
अपने खाने को यूं ही छोड़ने का मतलब है जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देना. छोड़ दिया गया खाना आमतौर पर लैंडफ़िल यानी कचरे के ढेरों को भेज दिया जाता है. वहां ये सड़ता है और मीथेन गैस पैदा करता है.
पूरी दुनिया में बर्बाद हुए खाने से पैदा होने वाली ग्रीनहाउस गैसों की तुलना देशों से की जाए तो यह अमरीका और चीन के बाद सबसे ज़्यादा ऐसी गैसें पैदा करता है.
अगर आप चाहते हैं कि ऐसा न हो तो इसे रोकने के लिए आप कुछ क़दम उठा सकते हैं:
1. समझदारी से खरीदारी
बहुत से लोगों को ज़रूरत से ज़्यादा खरीदने की आदत होती है.
एक लिस्ट बनाइए और उसके आधार पर ज़रूरी सामान की ही समझदारी से खरीदारी करें.
एक और बात. अगली बार खरीदारी करने तभी जाएं जब पिछली बार लाया पूरा सामान ख़त्म हो गया हो.
2. खाने को ढंग से स्टोर करें
खाने को ढंग से स्टोर न किया जाए तो बहुत सारा खाना बर्बाद हो सकता है. कई लोगों को पता ही नहीं कि फलों को कैसे स्टोर करना है और सब्जियों को कैसे. इस कारण या वे पहले ही पक जाती हैं और कुक किए जाने से पहले ही सड़ जाती हैं.
उदाहरण के लिए आलू, टमाटर, लहसुन, खीरे और प्याज़ कभी फ़्रिज में नहीं रखने चाहिए. इन्हें आप कमरे में सामान्य रूप से रख सकते हैं.
हरी पत्तियों वाली सब्ज़ियों और धनिया वगैरह को पानी में डुबोकर रखा जा सकता है. अगर आपको लगता है कि ब्रेड को आप समय पर ख़त्म नहीं कर पाएंगे तो उसे फ्रीज़र में भी रख सकते हैं.
खरीदारी करते हुए कभी कभार थोड़ी सी वो चीज़ें भी खरीद लिया करें जो असामान्य दिख रही हों. अगर संभव है तो सीधे किसानों से ही खरीदें.
3. बचे हुए खाने को बचाइए (इसे आप खा सकते हैं)
बचा हुआ खाना सिर्फ छुट्टियों में काम नहीं आता. अगर आप बहुत ज़्यादा मात्रा में खाना पकाते हैं और वो बच जाता है तो फ़्रिज में रखे इस खाने को निपटाने के लिए एक दिन तय करें.
यह तरीका खाने को फेंकने से बेहतर है. इससे समय और पैसे की बचत होगी, सो अलग.
4. फ्रीज़र से करें दोस्ती
खाने को सुरक्षित बचाए रखने का सबसे आसान तरीका है इसे फ्रीज़र में रखना. आप कई तरह का खाना फ्रीज़र में रख सकते हैं.
उदाहरण के लिए सलाद में इस्तेमाल होने वालीं हरी-मुलायम सब्ज़ियां फ्रीज़र के सेफ़ बैग में रखी जा सकती हैं ताकि आप बाद में उन्हें इस्तेमाल कर सकें.
धनिया वगैरह को काटकर, लहसुन और ऑलिव ऑइल में मिलाने के बाद आइस क्यूब ट्रे में रखकर स्टोर कर सकते हैं ताकि बाद में सब्ज़ी या जूस में मिलाने में सुविधा हो.
बचे हुए खाने, सूप वगैरह को भी आप फ्रीज़ कर सकते हैं. इससे आपको जब ज़रूरत होगी, घर का बना स्वास्थ्यवर्धक खाना उपलब्ध होगा.
5. लंच ले जाने की आदत डालें
अपने दोस्तों या ऑफ़िस के सहयोगियों के साथ किसी रेस्तरां में जाकर लंच करना आपको पसंद होगा मगर यह खर्चीला भी है और खाने की बर्बादी को भी बढ़ाता है.
पैसा बचाने और जलवायु परिवर्तन में अपना योगदान देने से बचने के लिए बेहतर होगा कि अपना लंच ख़ुद लेकर आएं.
अगर आपके पास सुबह समय नहीं होता तो पहले ही रात को बचे खाने को छोटे डब्बों में रखकर फ्रीज़ कर लें. इस तरह से आपके पास सुबह पहले से बना घर का खाना उपलब्ध होगा.
6. घर पर बनाएं सूप
खाने की बर्बादी रोकने का सबसे आसान तरीका है घर पर स्टॉक या सूप बनाना.
सब्ज़ियों के डंठल, छिल्के, ऊपरी हिस्से और अन्य बाक़ी बच्चे हिस्सों को थोड़े से ऑलिव ऑयल या मक्खन में फ़्राई कीजिए और फिर पानी डालिए. फिर उसे उबलने दीजिए और ख़ुशबूदार, ज़ायकेदार और सेहतमंद शोरबा तैयार.
7. संभव है तो कंपोस्ट तैयार कीजिए
बचे हुए खाने से कंपोस्ट तैयार करना अच्छा तरीका है. बचे हुए खाने, छिल्कों वगैरह को आप गमलों में लगाए पौधों को ऊर्जा देने में इस्तेमाल कर सकते हैं.
सभी के पास इतनी जगह नहीं होती कि घर के बाहर कंपोस्टिंग सिस्टम लगा सकें लेकिन अब ऐसे रेडीमेड सिस्टम उपलब्ध हैं जो कम जगह लेते हैं.
घर के बाहर लगने वाला कंपोस्टर कुछ लोगों के लिए तो ठीक है, जिनके पास बड़े गार्डन हैं. लेकिन शहरों में रहने वाले लोगों या फिर जिन्होंने घर में छोटे पौधे लगाए हैं, उनके लिए काउंटरटॉप कंपोस्टर ठीक रहेगा.