रूस के गैगरिन रिसर्च ऐंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को इस गोपनीय ट्रेनिंग के दौरान जान तक को भी जोखिम में डालना पड़ रहा है। आइए जानते हैं कि देश से करीब 4 हजार किलोमीटर दूर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को किन-किन चुनौतियों से लोहा लेना पड़ रहा है...
मास्को। भारतीय वायुसेना के 4 जांबाज पायलट देश की प्रतिष्ठा से जुड़े महत्वाकांक्षी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए रूस में बेहद कड़ा प्रशिक्षण ले रहे हैं। रूस के गैगरिन रिसर्च ऐंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को इस गोपनीय ट्रेनिंग के दौरान जान तक को भी जोखिम में डालना पड़ रहा है। आइए जानते हैं कि देश से करीब 4 हजार किलोमीटर दूर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को किन-किन चुनौतियों से लोहा लेना पड़ रहा है...
पांच साल का कोर्स एक साल में
अब रूसी भाषा सीख रहे भारतीय यात्री
भीषण ठंड में जंगल में अकेले रह रहे यात्री
भारतीय यात्रियों के लिए रूसी खाना बना चुनौती
समुद्र में भी रहेंगे भारतीय जांबाज
गनयान के लिए 10,000 करोड़ रुपये की राशि
केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी गगनयान प्रॉजेक्ट के लिए 10,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। इस मिशन के तहत तीन सदस्यीय क्रू कम से कम 7 दिन के लिए अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएगा। अंतरिक्ष पर मानव मिशन भेजने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा। पीएम मोदी ने ऐलान किया था कि यह मिशन 2022 तक पूरा होगा। इसरो चीफ के सिवन भी कह चुके हैं कि 2022 तक गगनयान भेजा जा सकेगा। इससे पहले इसरो 2020 और 2021 में दो मानवरहित मिशन भेजेगा।